Tuesday, October 10, 2017

GOVINDA Praatah Smaranam ( प्रातः स्मरणम् )

                             प्रातः स्मरणम्  
                              ||  हरिः ॐ ॥
प्रातः स्मरामि पुरुषः परमात्मनंत्यः
गोविंदराज चंद्रकला कमलप्रप्रोक्तां 
दक्षिणॆ वहति रथि  भीम तटॆस्तुवंत्यः                               
अश्वत्थ रूपः स्तुति मंदवारॆ 
पठंति सततं त्रिगुणात्मकंच                                ॥ १ ॥   
गोविंदपुरस्य दक्षिणांगॆ चंद्रलांबानि जननि स्थितः |
यस्यस्मरण मात्रॆण नपत्यो अपत्यवान् भवेत्      ॥ २ ॥   
श्री क्षेत्रस्यांतु वामभागॆ रमादेविर् सुसन्निधौ । 
यस्यस्मरण मात्रॆण आकर्मः सुकर्म सुसिध्धये      ॥ ३ ॥
सुक्षेत्र परेषा पुरतो मुख्य प्राणाधिदे वता । 
यस्यस्मरण मात्रॆण अविद्यो सविद्य उद्भवा        ॥ ४ ॥
गोविंदपुरश्च  पश्चिमांगॆ विजयॆरॆयस्तु समाहितः । 
यस्यस्मरण मात्रॆण सर्वपापात् प्रनाशनं                ॥ ५ ॥
श्री क्षेत्रस्य नैरुत्यमारभ्य आग्नॆयपरियंतरौ । 
त्रिकाले एककालं वा भूतमल्ल महाबलिः  ।
यस्यस्मरण मात्रॆण सर्व शत्रुर्विनाशनं                   ॥ ६ ॥
श्री तुळसात्मज श्रीधराचार्य विरचित श्री मद् गोविंदराज प्रातः स्मरणं संपूर्णं |
   
             || श्री मद् गोविंदराजार्पणमस्तु ॥

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