Saturday, October 21, 2017

GOVINDA ASHWATHA VRUKSHA SANDESHA ( वृक्ष संदॆश )

वृक्ष संदॆश
हरिःॐ ॥ 
ॐ श्री ॐ ऎहि मम हृत्पद्मस्थित श्री गॊविंदपुरवराधीशः सह ॥ 
अश्वत्थरूप त्रयात्मकबिंब रूपिणंच  श्री लक्ष्मीगॊविंदराज पीठस्थिथैः ॥ 
तद्धतु मयादि प्रतिमांत स्थित ओजःस्सारमय प्रतिमांत स्थित चतुर्भुज ॥                         
श्ंख चक्र गदा पद्म वनमाला विभूषित चाप बाण शांर्घ् तार्क्ष नंदकि ॥
अभय हस्तकि दक्षिणावाह्य भीमरथि तीरे स्वप्रतिमायाम् आवाहयामि ॥
*निराकार अभिव्यक्तिय आराधनॆयु मानवन अंतिमलक्ष साकार 
रूपदसॊपानगळन्नु समर्थ रीतियिंद निस्वार्थदिंद पूर्तिगोळिसुवुदक्के 
ओंदु वॆळे अडॆतडॆगळिद्दरे निसर्गनिर्मित पंचमहाभूतगळ पूजेउत्तम, 
निसर्ग सानिध्यदल्लि नम्मन्नु नावु मरेतु बेरेयुवुदे अंतिम लक्ष.....................अश्वत्थ वॄक्ष
*पाषाणदंथ प्रतिकूल वस्तुविन मॆले कालु मेट्टि " नानु " एंदु तलेयेत्ति
स्वाभिमानदिंद जीवनसागिसुवुदेंदे नन्न उद्देश.प्रतियॊंदक्कू अन्यरन्नु अवलंबिसि इरुवुदु बॆड.
नानु आहारक्केंदु,नीरिगेंदु भूमिय आळक्केंदू इळियुवदिल्ल.नन्नय बॆरुगळु कॆवल मेल्मेलेये 
हरडिरुत्तवे वातावरणदल्लिय आर्द्रतेयन्ने हीरिकोंडु कोंबे कोंबेयागि आकाशदेत्तरक्के एळुत्तेने.
यावागलु परिस्थितिय दुःखार्तवगळन्नु नेनपिसि कोळ्ळुत्त कूडुवुदरल्लेनु अर्थविल्ल.......अश्वत्थ वॄक्ष
*जीवनवेंब समरांगणदल्लि प्राप्त परिस्थितिगळन्नू,आव्हानगळ्न्नू,एदुरिसि 
अनानुकूलतेगळल्लि अनूकूलतेगळन्नु कंडुकॊंडु साधने माडुवुदरल्लिये पुरुषार्थविदे विनः 
पलायनवाददल्लि इल्ल. हेज्जे हेज्जेगूइन्नॊब्बर सहाय सहकारगळ अपॆक्षेमाडदे स्वयंभु व्यक्तित्ववन्नु 
बेळेसिकोंडु स्वावलंबियागिरबेकु.बॆडुवुदक्किंत पडेदुकोळ्ळुवुदर कडेगे गमनविरलि ............अश्वत्थ वॄक्ष
* जीवनदल्लि ओंदे ओंदु एळे सुखदायकविद्दु,उळिदेरडु एळेगळु दुःखप्रदायक इरुत्तवे
ई मूरूएळेगळ सिहि-कहि पर्यायद संमिश्र हॊडेतद दुःखपूर्ण मत्तु आवॆषद क्षणगळल्लू मानसिक,शारीरिक 
स्थिरतेसधृढ पूर्णानुभूतियन्नु हॊंदि भविष्यदल्लिय पूर्णविरामवन्नू आरॊग्यपूर्णवागि कंडुकोळ्ळुवुदे 
मानवन अंतिम लक्ष वागिरबेकु............निंबक वॄक्ष 
* स्वसंरक्षणेगागि प्रतिभटने अनिवार्य,अहिंसेयेंदु तटस्थवागिरुवुदु सल्ल, स्वयं 
शॊषणे,वंचने इवेल्ल इन्नॊब्बरिगे हेगे हिंसेयॊ हागे स्वंतक्कू हिंसेये अदक्के एदुरिसि हॊराडुवुदु
नन्न मूल गुरि .............अश्वत्थ वॄक्ष
ॐ श्री अश्वत्थ निंबकाविर्भव श्री रामकृष्ण वॆदव्यासात्मक हनुमद् भीम मध्वांतर्गत भारतिरमण
मुख्यप्राणांतर्गत श्री चंद्रलांबा सहितलक्ष्मी गॊविंदराज दॆवताभ्यॊ नमः ॥ श्री कृष्णार्पणमस्तु ॥
॥ ॐ श्री अश्वत्थवृक्षाय नमः ॥

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