Tuesday, December 19, 2017

GOVINDA Aarati RUKMINISHA (आरति रुक्मिणिश)

आरति रुक्मिणीश

मूर्धशिखंडक मुकुटं विलसित पीठ पटम् 
धृतपसि शिक्षा लकुटम् प्रिय गौकुल खेटं 
गोपी जन संघ  नटं  क्रीडा कुंज तटम् 
ब्रह्मादिक देव बटम् वंदे कपट पटम्
जयदेव जयदेव  अघटित घटनेश 
तारयमां भव जलनिधि 
पतितं लक्ष्मीश  जयदेव जयदेव ॥ १ ॥     
नवजल दाभ शरीरं धृतपद मंजीरं 
रत्नकटिक यदुकुटिरं यदुकुल परिवारं 
वनमाला मुनिहारं मुनि चित्त विहारं 
गोप युव सकुल जारं अभिनव दधि चोरं 
जयदेव जयदेव अघटित घटनेश 
तारयमां भव जलनिधि 
पतितं लक्ष्मीश  जयदेव जयदेव ॥ २ ॥
मृगमद तिलक सुवासं माया मृदु हासं       
यमुना तीर निवासं हिंसि निज कंसं 
आस्तिक जन विश्वासं  निगमागम भासं 
भौमानंदज दिवसं रुक्मज निज दासं 
जयदेव जयदेव अघटित घटनेश 
तारयमां भव जलनिधि 
पतितं लक्ष्मीश  जयदेव जयदेव ॥ ३ ॥     
                                       
                                              ...... रुक्मजिदास
( सशस्त्र क्रांतिकार हुतात्मा श्री कट्टी पांडुरंगाचार्या: )

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