Saturday, December 16, 2017

GOVINDARAJ Aarati Dhruta Roopa (आरति धृत रूप अश्वत्थ)


आरति धृत रूप अश्वत्थ
पितांबर वनु उट्टु रक्त वल्लिय तॊट्टु । नेताडुव कौस्तुभदिं कमलाकर संतुष्ट 
रत्नाकर रंजितमय मंगल किरिटवनिट्टु । कस्तूरि केशरिगळ द्वादश गंधद नोट 
जयदेव जयदेव जय लक्ष्मी कांत । गोविंदराजा धृत रूपवु अश्वत्थ ॥ १ ॥ 

दश अवतारध्धारक ऋषिगण गुण ऋत्विक । 
पसरिप पल्लवनेक द्राविड जन रूपक 
वास्तव्यतॆ भीमांक पावनमय तीर्थोदक  ।                                                             
 उत्तर  दक्षिण वाहिनि भजकर परिपालक 
जयदेव जयदेव जय लक्ष्मी कांत ।                                    गोविंदराजा धृत रूपवु अश्वत्थ ॥ २ ॥                                                                     

विठ्ठ्  प्रतियुत पूर्वद अनाधिनिधि देव । 
तॊट्टिह मर अश्वत्थद भक्तर प्रेमद भाव 
अट्टिदॆ महमल्लन तव रक्षिसि जन सत्व । 
सृष्टिसि सुंदर सत्यद तीर्थांबुधि ठाव
जयदेव जयदेव जय लक्ष्मी कांत । 
गोविंदराजा धृत रूपवु अश्वत्थ ॥ ३ ॥

गोवळ मॊसराटदलि घट रूपद घटना । 
धाविसि दधि घट नश्वर इंतॆंबुदु कवन 
गोविंदं गोविंदं गोकुल संकलन । 
पावनरागलु पडॆदु वैकुंठ प्राप्तियनु | 
जयदेव जयदेव जय लक्ष्मी कांत । 
गोविंदराजा धृत रूपवु अश्वत्थ ॥ ४ ॥

समचरणंगळ वारिधि आकर्षिसि भक्त । भ्रमरंगळ नामामृत नादव माडुत्त 
उमरज मठ अधिकारि सीताराम प्रीत । नमिपॆवु अनुदिन  श्रीधर तुळसात्मज सारि 
जयदेव जयदेव जय लक्ष्मी कांत । गोविंदराजा धृत रूपवु अश्वत्थ ॥ ५ ॥
                                                                                ..................  तुळसात्मज

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