Thursday, December 07, 2017

Shanaishchara AshtOttara (श्री शनैश्चराष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्)

|श्रीशनैश्चराष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम् | 
ॐ शनैश्चराय शांताय सर्वाभीष्टप्रदायिने | शरण्यायवरेण्याय सर्वेशाय नमोनमः || १ ||
सौम्यायसुरवंद्याय सुरलोकविहारिणे | सुखासनोपविष्टाय सुंदराय नमोनमः || २ ||
घनाय घनरूपाय घनाभरणधारिणे| 
घनसारविलेपाय खद्योताय नमोनमः || ३ ||
मंदाय मंदचेष्टाय मंदगामिगुणात्मने | 
मर्त्य पावनपादाय महेशाय नमोनमः || ४ ||छायापुत्राय शर्वाय शरतूणिर धारिणे |    
चरस्थिर स्वभावाय चंचलाय नमोनमः || ५ ||
नीलवर्णाय नित्याय निलांजननिभायच |
निलांबरविभूषाय निश्चलाय नमोनमः || ६ ||
वेद्यायविधिरूपाय विरोधाधार भुमये |
वेदास्पद स्वभावाय वज्रदेहायते नमः || ७ ||
वैराग्यदाय वीराय वितरोगभयायच | 
विपत्परंपरेषाय विश्ववंद्यायते नमः || ८ ||
गृध्रवाहायगूढाय कूर्मांगायकुरूपिणे | 
कुत्सिताय गुणाढ्याय गोचरायनमोनमः || ९ ||
विष्णु भक्तायतेवश्य विविधागमवेदिने | 
विधिस्तुत्याय वंद्याय विरुपाक्षायतेनमः ||१०||
वरिष्ठाय गरिष्टाय वज्रांकुश धरायच | 
वरदाभय हस्ताय वामनाय नमोनमः  || ११ ||
ज्येष्टापत्नी समेताय श्रेष्टयामितभाषिणे | 
कष्टौघ नाशकार्याय पुष्टिदायनमोनमः ||१२||
स्तुत्याय स्तोत्रगम्याय भक्तवश्यायभानवे | भानुपुत्राय भव्याय पावनायनमोनमः ||१३||
धनुर्मंडल संस्थाय धनदाय धनुष्मते | 
तनुप्रकाश देहाय तामसाय नमोनमः || १४ ||
आशेष धनि वंद्याय विशेष फलदायिने | 
वशीकृत जनेशाय पशूनां पतये नमः ||१५||
खेचराय खगेशाय घन निलांबरायच | 
काठिन्यं मानसायार्य गुणस्तुत्यायते नमः||१६||
निलछत्राय नित्याय निर्गुणायगुणात्मने | निरामयाय निंद्याय वंदनियायते नमः ||१७||
धीराय दिव्य देहाय दीनार्ति हरणायच | 
दैन्य नाशक राजार्य जनगण्यायते नमः ||१८||
क्रूराय क्रूर चेष्ठाय काम क्रोध धरायच | 
कलत्र पुत्र शतुत्व कारणाय नमो नमः ||१९||
परिपोषित भक्ताय परभीति हरायच | 
भक्तस्तोम मनो भिष्ट फलदाय नमोनमः||२०||   
इति श्री शनैश्चराष्टोत्तर शतनामस्तोत्रम् संपूर्णम्  || श्री कृष्णार्पणमस्तु ||

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